Monday, November 17, 2008

समलैंगिकता को वैध बनाए जाने से टूट जाएगी पारिवारिक व्यवस्था

नयी दिल्ली 17 नवम्बर

समलैंगिकता अधिकार विरोधी एक कार्यकर्ता ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा कि यदि इस तरह की गतिविधियों को वैधता प्रदान की गई तो इससे एचआईवी का प्रसार होगा और देश में पारिवारिक व्यवस्था भी चरमरा जाएगी।समलैंगिक अधिकार संगठन द्वारा दायर याचिका का विरोध कर रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता बीपी सिंघल ने अदालत को लिखित में अपनी बात सौंपी और कहा कि पश्चिमी देशों की तर्ज पर इस तरह के व्यवहार को भारत में वैध नहीं बनाया जा सकता क्योंकि देश में विभिन्न तरह के नैतिक मूल्य हैं।उन्होंने कहा पश्चिमी देशों में जिंदगी का मतलब सिर्फ मौजमस्ती से है जबकि भारत में इसका मतलब माता पिता तथा परिवार के सभी सदस्यों से प्रेम और लगाव से र्र्है।ंंमुख्य न्यायाधीश एपी शाह और न्यायाधीश एस मुरलीधर के समक्ष पेश हुए सिंघल के वकील एचपी शर्मा ने कहा समलैंगिकता का लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और रोमांच तथा मौजमस्ती के नाम पर युवा समलैंगिकता की लत के शिकार हो जाएंर्र्गे।ंंभारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत समलैंगिकता वर्तमान में एक अपराध है और इसके तहत दोषी पाए जाने पर किसी व्यक्ति को उम्रकैद तक हो सकती है।

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